Saturday 7 April 2012

यह मालवा के पुरातत्व और इतिहास की अभिनंदन बेला है







मालवा की संस्कृति और परम्परा के सपूत दादा श्रीनिवासजी जोशी मालवी गद्य के प्रथम साहित्यकार हैं। उन्होंने जीवनपर्यंत शब्द की साधना की। श्रीनिवासजी की स्मृति में प्रतिवर्ष दिया जाने वाला सम्मान इस बार मालवा के इतिहास और पुरातत्व के उद्‌भट दस्तावेज़कार डॉ. श्यामसुंदर निगम दिया जा रहा है. वस्तुत: यह पूरे मालवा की पुरातत्वीय धरोहरों और इतिहार की अभिषेक बेला है.

डॉ. श्यामसुन्दर निगम साहित्य, कला और लोक संस्कृति के उन बिरले मालव पुत्रों में से हैं जिन्होंने कर्मठता और जीवटता से ज़िंदगी भर कठिन परिस्थितियों से मुक़ाबला कर जीवन मूल्यों को बचाये रखा। बचपन से ही आपने विकट परिस्थितियों में संघर्षों से दोस्ती की और संस्कारों का दामन थामकर धैर्य और हिम्मत के सहारे सृजन कार्य में डटे रहे।

डॉ. श्यामसुन्दर निगम कवि, लेखक, शोध अध्येता, ओजस्वी वक्ता, पुराविद्‌, इतिहासकार के रूप में असंख्य पुस्तकों के रचनाकार हैं। उज्जैन में आपके द्वारा स्थापित "अमृत न्यास' और "कावेरी शोध संस्थान' दो ऐसी गतिविधियॉं हैं जो पिछले तीन दशकों से विद्यार्थियों, साहित्य जिज्ञासुओं और लोक संस्कृति के शोधार्थियों में स्वाध्याय, चिंतन, मनन और अनुशीलन के लिये अमूल्य ज्ञान केन्द्र हैं। आपके द्वारा "शोध समवेत' शोध पत्रिका का सम्पादन अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है।

लोक साहित्य, कला-धर्म, संस्कृति, इतिहास, काव्य, निबंध, दर्शन और जीवन मूल्यों के पक्ष में आंचलिक लेखन के प्रोत्साहन में डॉ. श्यामसुंदर निगम का अवदान अनुपम है जो कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। मालव मार्तण्ड पं. सूर्यनारायण व्यास,डॉ. शिवमंगलसिंह "सुमन', डॉ. हीरानंद रायकृष्णदास, वासुदेवशरण अग्रवाल, राजबली पाण्डेय, भगवतशरण उपाध्याय, डॉ. वी. एस. वाकणकर, आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, श्रीनरेश मेहता, डॉ. प्रभाकर माचवे और डॉ. श्याम परमार जैसे मालव मनिषियों और कला साहित्य के अध्येताओं की परम्परा के वाहक डॉ. श्याम सुन्दर निगम निश्चित ही मालवा के गौरव पुरुष हैं।

Friday 23 March 2012

आयो हे मालवी को मान बढ़ावा को दन !




सबती पेला तो आपके विक्रम संवत का नवा वरस (२०६९) की दिल ती बधई. मालवा की संस्कृति और विरासत में महाराज विक्रमादित्य,महाकवि कालीदास,चम्बल-सिपरा,भृतहरि-पिंगला,रघुनाथ बाबा,डॉ.शिवमंगल सिंह सुमन,डॉ.श्याम परमार,पं.कुमार गंधर्व,पन्नालालजी नायाब ,सिध्देश्वर सेन,आनंदराव दुबे,भावसार बा और श्रीनिवासजी जोशी का साते आपकी नईदुनिया शकर में दूध की तरे मिली हुई है. पाछले वरस उज्जैन ती यो हुँकारो उठ्यो थो कि विक्रम संवत मालवा ती सुरू वियो तो मालवी दिवस भी गुड़ी पड़वा का दन मनावा की सुरूवाव वेणी चईजे. विचार चोखो थो तो रंग भी चोखो आयो. अणी वरस नईदुनिया की पहल पे जद मालवी दिवस और जोर शोर ती मनावा को आव्हान वियो तो चालीस शहर-कस्बा और गामड़ा ती खबर मिली की मनावाँगा म्हें भी मालवी दिवस मनावाँगा.

तो सबती पेला आपके नईदुनिया आड़ी ती मालवी दिवस की बधई.मालवी दिवस मने तो मन खुस बे पण एक बात केणॊ चावूँ हूँ कि मालवी दिवस भी यातायात सप्ताह,हिन्दी दिवस और साक्षरता दिवस हरको नी मननो चईजे. कोरी-कोरी औपचारिकता वई गी ने मन ग्यो मालवी दिवस. आज केवाकी खास बात या हे कि म्हाँ एक करोड़ ती उप्पर मालवी लोगाँ ने अपणी बोली पे मान करणॊ सुरू करणो पड़ेगा. अणी कोई शक नी कि जिन्दगी में जणी तरे को फेरबदल है और जुवान पीढ़ी का जो तकाजा है वणी के देखता मालवी बोली पेचाण का संकट ती गुजरी री है. एक म्होटो कारण यो हे कि म्हाणा मालवा में मुगलाँ का जमाना तीज बारते ती लोग अई के कमई-धमई ले ने अपणी जमीन और हवा ती कमई के मजा करे.म्हे मालवी लोग भलमनसाईती और आलस में परदेस ती आया लोगाँ का चाळे लगी जावाँ और अपणी संस्कृति के भूली जावाँ. और तो और आप अपणा मालवा का हगरा विधायक के देखो;ई भई लोग म्हें मालवी लोगाँ का वोट डकारी ले हे पण मालवा की सांस्कृतिक विरासत वाते कोई चिंता नी पाले हे. कदि आपये मालवा का कणी विधायक के बदनावर,उज्जैन,धार,इन्दौर,मंदसौर,नीमच,रतलाम में मालवी में बोलता देख्यो हे. हाँ एक दादा सत्यनारायण जटिया जरूर हे जणा के म्हें मालवी बोलता हुण्या हे. आप कदी दक्षिण भारत,गुजरात,महाराष्ट्र,बिहार और पंजाब में जई के देखी लो वठे आप देखोगा कि वठे का विधायक और नेता अपणी बोली में बोले हे..

अपणा लोगाँ ने पं.कुमार गंधर्व को अहसान माननो चईजे जो कर्नाटक (धारवाड़) में पैदा विया;मुम्बई में गाणॊ हिक्या.मातृभाषा कानड़ी ने मराठी थी पण कबीर का मालवी लोकगीत गई के मालवा को मान बढ़ायो. वी मानता था कि मालवा (देवास) में वणाके दूसरो जीवन मिल्यो हे तो अठे की आबोहवा को कर्जो चुकाणॊ हे. आज मालवी दिवस का दन कुमार बाबा के माथो झुकावो को मन करे हे. मकबूल फिदा हुसैन,राजेन्द्र माथुर,मुश्ताक अली,बेन्द्रे,अफजल,उस्ताद अमीर खाँ,गोस्वामी गोकुलोत्सवजी महाराज,उस्ताद जहाँगीर खाँ,पं.अम्बादास पंत आगले,मेडम पद्मनाभन,सर सेठ हुकुमचंद,पद्मश्री बाबूलाल पाटोदी,चंदू सरवटे,सुशील दोशी,प्रभाष जोशी,नरेन्द्र हीरवानी,स्निग्धा मेहता खासगीवाला,अमय खुरासिया,डॉ.श्यामसुंदर व्यास,विष्णु चिंचालकर,शालीनी ताई मोघे,मामा साहेब मुजुमदार ई हगरा मालवा का दमकता हीरा हे. ने म्हें लोगाँ ने हक ती अणाँ को नाम लेणॊ चईजे ने केणॊ चईजे कि ई हगरा मालव-पूत म्हाँकी आन,बान और शान हे. अणी का अलावा नवी पीढ़ी में मालवी बोलवा का वाते भी घणा प्रयास करवा की जरूरत हे. इंटरनेट पे मालवी का वास्ते और ज्यादा कोशिशाँ की जरूरत हे. और जरूरत हे अणी वात की कि जो लोग मालवा में पैदा विया हे,अठे नाम,ईनाम और रिप्या पईसा कमई रिया हे वी भी माय मालवी की सुध लेणी सुरू करे. जो लोग कविता,संगीत और दीगर कला का क्षेत्र में मालवी ती सुरू विया वी आज मालवी के भूली ग्या हे. वणाने चईजे कि वी जद भी टेम और मोको मिले ;मालवी से जुड़े.म्हें असा घणा लोगाँ ने जाणूँ हूँ जणाका घर परिवार मे मालवी री सुगंध हे पण वी आज जमाना की चकाचौंध में मालवी को दामन छोड़ चुक्या हे.

मालवी का नाम पे आकाशवाणी को खेती गृहस्थी नन्दाजी भेराजी और कानाजी जावा का बाद आँसूड़ा टपकई रियो हे.रेडियो पे मालवी लोकगीत की दुकान ठंडी वई गी हे. नईदुनिया थोड़ी-घणी और धुर में लट्ठ का माध्यम ती अपणो अवदान दई री हे. मालवी जाजम हर महीना में मिली बैठी के बतयईरी हे.एफ़.एम.चैनल,लोकल टीवी चैनल और वीणा,गुंजन सरीखी पत्रिका के भी चईजे कि वी मालवी के माकूल जगा दे. मालवी का उत्थान का वास्ते देवी अहिल्या विश्वविद्यालय और म.भा.हिन्दी साहित्य समिति की भी महत्वपूर्ण भूमिका वई सके हे. इन्दौर प्रेस क्लब ती भी अरज हे कि ऊ भी मालवी वास्ते रूचि लेगा तो म्होटो काम वई सकेगा.सरकार के भी चईजे कि कम ती कम मालवी निमाड़ी कवि सम्मेलन को सिलसिलो फ़ेर ती सुरू करे.अणी हगरी रायबहादुरी का बाद म्होटी वात याज हे कि म्हाँ लोगाँ के घर-आँगण ती सुरआत करणी पड़ेगा.जठे भी जणी रूप में आप मालवी की सेवा करी सको हो.कम ती कम आज तो आप मालवी बोलवा वारा दोस्त-रिस्तेदार के मालवी दिवस की बधई तो दई सको हो.फोन करो नी तो समस करो..
जय मालवा-जय मालवी.

यो लेख संजय पटेल ये नईदुनिया मालवी दिवस (गुड़ी पड़वा - वि.स.२०६९) का मोका पे लिख्यो हे