Tuesday 30 August 2011

अन्नाजी को चिट्ठी,गणेश वंदना और साथ-साथ तीन त्योहार !










एक चिट्ठी अन्नाजी का नाम:


अन्ना बा सा. आपये रामलीला पे अनशन करी के सरकार के चेतई दियो हे. लोग पूछी रिया हे कि यो करिश्मो कसतर वई ग्यो. तो वणाने नगे कोनी कि यो देश संताँ का पाछे चाल्यो हे. वेंडा लोग यूँ भी के हे कि अन्ना बा के कोई इनाम/इकराम चैये वेगा.म्हें क्यो बापू अन्ना बा वणी रामजी का देश का पूत हे जठे राते तै वे हे कि रामजी राजगादी पे बिराजेगा ने हवेरे राजा दशरथ का केवा पे वी राजपाठ छोड़ी के जंगल में रवाना वई जावे हे. म्हें अपणा अणी थानक आड़ी ती एक खास अर्जी आपके भेजी रियो हूँ.भ्रष्टाचार को अलख तो अब जगी ग्यो हे. इण्डिया गेट पे आपये जो मजमो जमायो हे वसो अपणी आजादी की पन्दरमी तारीख और गणतंत्र दिवस छब्बीस जनवरी का दन भी वेणो चावे हे. ई दोई उच्छब में आम-आदमी आवे कोनी. अणी दनाँ ने एक सरकारी छुट्टी ती ऊपर उठणो चईजे. ईंका अलावा राष्ट्रीय विपत्ति (भूकंप/बाढ़/आतंकवादी हमला) का टेम जवान छोरा-छोरी दस्ता का दस्ता रक्तदान और जनसेवा वाते हाजिर वेणा चईजे. जतरा भी नागरिक अलंकरण (भारत-रत्न,पद्मभूषण,पद्मश्री)देणा वे वणी की फ़ेहरिस्त सरकारी वैबसाइट पे जारी वेणी चावे.देश का लोग तै करे कि अणी बरस का बहुमान को साफ़ो कणी का माथा पे बंधेगा. पुरस्कार में राजनीति को काम खतम वई सके तो यो आपको घणो म्होटो कारनामो वेगा. सरकारी भ्रष्टाचार को इलाज तो आप करई दोगा पण आम आदमी का मन में भी कानून-क़ायदा ती काम करवा की भावना आवे यो अलख भी जगणो चईजे. नी तो पंद्रे-बीस दन बाद अन्ना की टोपी फ़ैंकी के फ़ेर बेईमानी की कारगुजारी में आदमी भिड़ जावेगा. इण राष्ट्रीय महत्व का विषय बाबत तो आपको ध्यान जाणो चावे हे पण ९वीं – १० वीं कक्षा में मिलेट्री ट्रेनिंग,मूँगा ब्याव का जमावड़ा, रसोई में अन्न की बर्बादी,दहेज कुरीति और भ्रूण परीक्षण जैसा गंभीर विषय पे भी आप युवा भाई-बेन को ध्यान दिलई सकोगा तो अपणा भारत की तस्वीर बदली जावेगा.अबे गाँधी बाबा का बाद आप अपणा देस में आशा की नवी किरण लाया हो और अणी सूता देश का जवान छोरा-छोरी के रस्तो दिखावा को काम भी आपके करणो पड़ेगा.म्हाने पूरी उम्मीद हे कि आपका साया में नवी पीढ़ी को मार्गदर्शन वई सकेगा. आपको १३ दन को उपवास बेकार नी जाणो चावे हे. म्हें चावा हाँ कि राष्ट्रपेम को यो दिवलो वळतो रे.


तोमर दादा का गवरी रा नंद:

एक जमानो थो कि मालवा हाउस (आकाशवाणी इन्दौर-भोपाल) ती आपके दादा नरेन्द्रसिंह तोमर की मीठी आवाज़ में गजानद भगवान को बधावो गीत बजतोज रेतो थो. विविध भारती का लोक-संगीत कार्यक्रम में भी गवरी रा नंद गणेश ने मनावाँ की खासी धूम थी. १ सितम्बर का दन गणेशजी की पधरावनी वई री हे ने वी मालवा-निमाड़ में गाजा-बाजा ती बिराजेगा. धुर में लट्ठ का थानक पे या खास फ़रमाईस अई की कि दादा तोमर जी को यो मालवी लोकगीत लोगाँ के चावे,तो लो साब हाजिर हे. अणी के काटी लो और आखा दस दन गजानन्दा की आरती का टेम आप भी गावो:


गवरी रा नंद गणेश ने मनावाँ हो,गणेश ने मनावाँ हो जी
थारी गेरी गेरी थापणा थपावाँ हो, थाने रूड़ा रूड़ा काज तो सँवारिया

सोना चाँदी की हमतो ईंट घड़ावाँ ;देवा ईंट तो बणावाँ हो जी
थारो गेरो गेरो मंदर बणावाँ; गणेश ने मनावाँ हो जी

केसर कस्तूरी को घोलण घोळावा;देवा लीपण बनावाँ हो जी
थारो गेरो मंदर लिपावाँ; गणेश ने मनावाँ हो जी

ज्ञान फ़ूलाँ को हमतो गजरो बणावाँ,गजरो बणावाँ हो जी
थाने मोत्यारा चोक पुरावा; गणेश ने मनावाँ हो जी

गंगा-जमना को नीर मंगावाँ देवा नीर तो मंगाँवा हो जी
थाने कोरा,कोरा कळश्या भरावाँ; गणेश ने मनावाँ हो जी

सात सहेल्या मिल,मंगल गवाडाँ देवा मंगल गवावाँ हो जी
थाने झबलक दिवलो संजोवा हो गणेश ने मनावाँ हो जी

असली पारस की मूरत घड़ावाँ देवा मूरता घड़ावाँ हो जी
थाने लाडू रा भोग लगावाँ, गणेश ने मनावाँ हो जी

सत का सरणा में गोरख बोल्या देवा गोरख बोल्या हो जी
थाने गेरा गेरा सबद सुणावा, गणेश ने मनावाँ हो जी






अपणो प्यारो देस;न्यारी ईंकी तहजीब:

अपणी भारत माता की शान निराली हे.यो ऊज वतन हे जठे रमजान,पर्युषण और गणेशोत्सव हाते-हाते अई रिया हे. गंगा-जमनी तहजीब को यो मुल्क म्हाने या सीख देवे हे कि म्हे जुदा-जुदा धर्म,जात और परम्परा का लोग प्यार-मुहब्बत को गीत गई सकाँ हाँ. अणी समन्वय की संस्कृति के जिंदा राखणो अपण हगरा लोगाँ को फ़र्ज़ हे. धुर में लट्ठ आपने अरज करे हे कि आप जैन वो तो मुसलमान भई ने ईद की,मुसलमान वो तो हिंदू भई-बेन ने गणेसोत्सव की बधई एक-दूसरा के दो और देखो दीगर मजहब में आपकी कसी न्यारी इज्जत वणे हे. म्हने उम्मीद हे कि आप म्हारी वात पे विचार करोगा और महान शायर इकबाल सा की अणी पंक्ति के सई साबित करोगा “सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा”

Tuesday 23 August 2011

संजय पटेल को धुर में लट्ठ > नवी मालवी कड़ी !



जीवन की खुशी की पासबुक:
नवा जमाना का दो छोरा छोरी को ब्याव वियो.छोरी की माँ ये बिदई में एक नवा बैंक खाता की पास बुक दी ने हजार रिपया जमा करई दिया. बेटी के ताकीद कई कि या म्हारी आड़ी ती नवा लाड़ा-लाड़ी वाए नेगचार हे. जद भी थाँकी जिन्दगी कोई खुसखबर आवे,जतरा वई सके पईसा जमई करई सको.ध्यान राखजो,जतरी बड़ी खुसी वतरा जादा पईसा.जद थें अणी पास बुक ने दस-बीस साल बाद देखोगा तो थाँने गुमान वेगो कि कतरी खुशी थें दोई का जीवन में अई थी. टेम बीतवा लागो;पाँच-छे वरस बाद वणाकी पास-बुक में असी नोंद(एंट्री): व्याव की पेली सालगिरह:१०००/-बेटी की पेली तनखा वदी: ५००/-,जमईजी ko को प्रमोशन:२०००/-परदेस में छुट्टी बितई:२०००/-
बेटी वी:५०००/-कई वरस बीत ग्या.दोई में मनमुटाव सुरू वई ग्यो. दोई एक दूसरा ती कुटावा लाग ग्या.पुरानो प्रेम गुमी ग्यो.दोई सोचवा लग्या कि ब्याव करी के गलती वई गी. दोई सोच्यो के अबे तलाक लई लेणो चईजे. छोरी ये माँ ती बात कीदी. माँ बोली कई वात नी,मन नी मिले तो हाते क्यूँ रेणो. पण एक काम करो कि म्हने जो पास बुक थाँने दी थी वणी खाता में ती हगरा पईसा निकाली लो.जद हाते नी रेणो तो जाइंट अकांउट कई काम को.दोई खातो बंद करावा का वास्ते बैंक ग्या. वठे भीड़ घणी. काउंटर पे उबा-उबा दोई ये सोच्यो चलो आज अणी पास बुक की जतरी एंट्री हे वणी पे एक नजर न्हांक लाँ. जतरी रिपया जमा कर्या था वणी का पाछे एक खुसी थी. वा खुसी बीतता टेम में खोवई गी थी. एंट्री देखता-देखता वा खुसी जाणे दोई का हामे अई ने ऊबी वईगी. दोई की आँख्याँ भींजी गी.मैनेजर साब बोल्या अई जाओ;बंद करी दूँ.दोई बोल्या नी खातो नी बंद करनो हे खातो चालू रखनो हे.दोई ये खाता में ५०००/-रिपया जमा कराया ने पास बुक की वणी एंट्री पे लिख्यो जीवन भर साथ रेवा की खुशी.

या देशप्रेम की आंधी:
आखा देस में एक नवो तूफ़ान अई ग्यो हे. भ्रष्टाचार का खिलाफ़ आवाज उठावा वास्ते आम आदमी सड़क पे हे. अन्ना बा वठे रामलीला मैदान पे जम्या हे ने वणाको अनशन जारी हे.आजादी का बाद यो पेलो मोको हे जद आप,म्हें हगरा सोची रिया हे कि यो मुलक अपणो हे.देशप्रेम की आँधी चली री हे. फ़िरंगीहोण का जावा का बाद यो पेलो मोको हे जद एक दूसरो गाँधी बाबो देशप्रेम को अलख जगई रियो हे. अब यो कतरो सई हे-गलत यो तो टेम पे देखाँगा पण एक खास वात केवा को मन करी रियो हे. म्हें आपती पूछणो चाऊँ हूँ कि म्हें भारतीय लोगाँ के देशप्रेम वाते कणी कारगिल,मुम्बई धमाका,१५ अगस्त,२६ जनवरी,वर्ल्ड-कप की जीत की दरकार क्यूँ वे हे. आपने कदि कोई गाँधी चईये,कोई अन्ना हजारे.आज एक डोकरो आपके यो बतावा के कि आप भारतवासी हो भूखो-प्यासो बेठ्यो हे.म्हें अपणा गली-मोहल्ला,शहर,गाँव और देश को ध्यान आखा ३६५ दन क्यूँ नी राखा हाँ ? क्यूँ ई रैलियाँ निकली री हे ई,नारा लगी रिया हे,तिरंगा लई के आखो कुनबो चौराया पे अई ग्यो हे.म्हें वीज लोग हाँ जो स्वतंत्रता दिवस,गणतंत्र दिवस का दन टीवी पे वई रिया झण्डावंदन और राष्ट्रगीत को प्रसारण म्हें लोग पोहा-जलेबी खाता खाता देखाँ और अपणी कुर्सी ती ऊबा भी नी वाँ हाँ ? तो केवा की वात याज हे कि अन्ना बा को अनशन बेकार नी जाणो चईजे. म्हें केवा वाते भारतीय नी-मन ती भारतीय वणाँ.अधिकार वाते जागरूकता हे तो कर्तव्य को ध्यान भी राखणो चईजे. अन्ना बा का जज्बा के सलाम हे पण आगे को काम आम आदमी के देखणो हे. नी तो या देशप्रेम की आंधी फ़ुस्स वई जायगा.देशप्रेम ३६५ दन और और २४ घंटा को वेणो चावे,जद अन्ना बा को त्याग काम आवेगा.

लोग कईं केगा:
आज धुर में लट्ठ् में बाँची लो मंदसौर का मालवी-मानुष भानु दवे की नानी बारता: घरे राते पामणा आया.घर में उंदरा रो राज.आटो-दाल नी थो.कई करतो ? रातेज वाण्या के अठे घर में पड़ी एकली आटा घूँदवा की छोटी परात दई ने आयो ने आटो-दाल लायो.पामणाने जिमायो.नी जिमातो तो लोग कई केता ?